आइए जानते है!
यदि चलते ट्रेन का ड्राइवर सो जाए तो क्या होगा?
देखिए एक ट्रेन में दो ड्राइवर होते हैं एक लोको पायलट और एक असिस्टेंट लोको पायलट होता है तो यदि किसी चलाते ट्रेन का ड्राइवर सो जाता है तो ट्रेन में मौजूद दूसरा ड्राइवर असिस्टेंट लोको पायलट उसे जगा देगा और बात खत्म।
अब यदि मान लेते हैं कि संयोग से दोनो ड्राइवर सो जाते हैं तो ऐसी स्थिति में दुर्घटना से बचाने के लिए और लोको पायलट को जगाने के लिए ट्रेन के इंजन के साथ एक "विजिलेंस कंट्रोल डिवाइस" लगा होता है। यह अलार्म की तरह काम करता है यदि 72 सेकंड के अंदर ट्रेन का ड्राइवर ट्रेन की गति धीमी या तेज नही करता है या फिर ब्रेक नही लागत है या हॉर्न नही बजता है तो यह डिवाइस बजने लगता है जैसे लोको पायलट को बंद करना होता है। यदि ड्राइवर ऐसा नहीं करता है तो यह डिवाइस अपने आप ब्रेक लगाने लगेगा और कुछ दूर जाकर ट्रेन रुक जायेगी।
आम तौर पर ऐसा नहीं होता है की लोको पायलट और असिस्टेंट लोको पायलट दोनो सो जाए क्योंकि इन्हे सोने के लिए अच्छा खासा समय और एसी रूम में आरामदायक बिस्तर दिया जाता है।
जिन ट्रेनों में एक ड्राइवर लोको पायलट होता है उनमें डेड मैन हैंडल डिवाइस लगा होता है यह ड्राइवर के हाथों को सेंस करता रहता है जब तक ट्रेन का ड्राइवर हैंडल पर हाथ रखे रहता है एनी हैंडल को पकड़कर रखता है तब तक यह नॉर्मल स्थिति में होता है परंतु जैसे ही ड्राइवर हैंडल से अपना हाथ हटाता है यह इमरजेंसी ब्रेक लगाना शुरू कर देता है जिसकी वजह से यदि ट्रेन का ड्राइवर पुणे हैंडल पर हाथ नहीं रखता है तो ऐसी स्थिति में ट्रेन कुछ ही दूरी पर जाकर रुक जाएगी।
∆ ट्रेन के सामने किसी के आ जाने पर भी ट्रेन का ड्राइवर गाड़ी क्यों नहीं रोकता है।
यदि एक पटरी पर दो ट्रेनें आमने सामने आ जाए तो क्या होगा।
देखिए इसके पहले यानी कि 2022 से पहले ट्रेनों में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी कि इन्हें इस तरह की परिस्थिति में ट्रेन चालक को पता चल सके कि जिस ट्रैक पर वह जा रहा है उसी ट्रैक पर सामने से भी कोई गाड़ी आ रही है इसकी खबर केवल स्टेशन मास्टर के पास होती थी जिसे दोनों लव लोको पायलट के पास पहुंचाने में थोड़ा समय लगता था जिसकी वजह से आमतौर पर ऐसी स्थिति बनने पर दुर्घटना हो ही जाती थी हालांकि ऐसी स्थिति बहुत कम लगभग न के बराबर बनती थी।
परंतु 2022 में भारतीय रेलवे के रेल मंत्री ने ट्रेन के इंजन में लगाए जाने वाले एक विशेष प्रकार के उपकरण का परीक्षण किया जिसकी वजह से एक ही पटरी पर दो ट्रेनों के बीच में यदि 2 किलोमीटर से कम की दूरी होती है तो ट्रेन अपने आप ब्रेक लगाना शुरू कर देता है और जैसे-जैसे यह दूरी कम होती जाती है ट्रेन पर पूरा ब्रेक लग जाता है और ट्रेन रुक जाती है जिससे दुर्घटना नहीं हो पाता है इस अत्याधुनिक उपकरण का नाम "कवच" है।
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