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CT और PT क्या है। ये कैसे काम करते है। उपयोग। अंतर।

जय हिंद दोस्तों कैसे हैं आप लोग hindimetalk.com पर आपका स्वागत है आज के इस लेख में हम लोग जानेंगे कि current transformer और potential transformer क्या होता है? यदि आप इलेक्ट्रिकल इलेक्ट्रॉनिक्स की पढ़ाई कर रहे हैं तो आपने इसके बारे में जरूर सुना होगा तो आइए आज इसके बारे में जान ही लेते हैं। की ये कैसे काम करते हैं तथा इनका उपयोग कहां किया जाता है व CT और PT में क्या अंतर होता है। 

आपसे निवेदन है कि आप इस लेख को शुरू से अंत तक पूरा पढ़ें जिससे आप बिना किसी पॉइंट को छोड़े CT और PT के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर पाएंगे। इस लेख को पूरा पढ़ने के बाद आप CT और PT से जुड़े सभी सवालों के जवाब बहुत ही आसानी से देने में सक्षम हो जाएंगे।

CT क्या है? Current transformer in hindi.

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CT का फुल फॉर्म current transformer होता है जिसे हिंदी में धारा परिणामित्र कहते हैं। एक विशेष प्रकार का उच्चाई ट्रांसफार्मर (STEP UP) होता है। करंट ट्रांसफॉर्मर की सहायता से किसी कंडक्टर में प्रवाहित हो रही बहुत अधिक करंट को कॉन्करेंट में परिवर्तित करके मापा जाता है। 

Note: CT कोई मापन यंत्र नहीं है बल्कि यह किसी कंडक्टर में बहुत अधिक मात्रा में प्रवाहित हो रहे धारा को ऐमीटर की सहायता से मापने में मदद करता है।

CT के प्रकार। Types of current transformer.

करंट ट्रांसफॉर्मर मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं।

  1. Wound type current transformer.
  2. Bar type current transformer.
  3. Toroidal type current transfer.

संरचना: इसका कोर सिलिकॉन स्टील का बना होता है जिसके ऊपर कॉपर के पतले तारों की वाइंडिंग होती है कोर पर दो वाइंडिंग होती है जिन्हें क्रमशः प्राइमरी और सेकेंडरी वाइंडिंग कहा जाता है। इसके सेकेंडरी वाइंडिंग में शेरों की संख्या अधिक होती है क्योंकि ये स्टेप अप ट्रांसफॉर्मर होते है। सेकेंडरी वाइंडिंग के दोनों टर्मिनल के बीच में एक एमीटर मीटर कनेक्ट किया जाता है।

Toroidal type current transformer में प्राइमरी वाइंडिंग नहीं होती है इसमें उस कंडक्टर को ही प्राइमरी वाइंडिंग की तरह प्रयोग किया जाता है जिसका करंट मापना होता है।

CT Ratio: CT Ratio उस अनुपात को बताता है जिसमें वह हाई करंट को लो करंट में बदल कर मापता है। जैसे यदि कोई CT 100/1 का है तो वह किसी कंडक्टर में प्रवाहित हो रहे 100 एंपियर के करंट को एक एंपियर में बदल कर एमिटर में दिखाएगा। और यदि कोई CT 1000/5 ratio का है तो वह किसी कंडक्टर में प्रवाहित हो रहे 1000 एंपियर को 5 एंपियर में बदलकर एमीटर में दिखाएगा।

CT कैसे काम करता है? Current transformer working.

सबसे पहले CT के सेकेंडरी वाइनिंग के दोनों टर्मिनल के बीच में ऐमीटर को कनेक्ट किया जाता है इसके बाद करंट ट्रांसफॉर्मर के प्राइमरी वाइंडिंग में उस कंडक्टर को कनेक्ट किया जाता है जिस का करंट मापना होता है। चूंकि कंडक्टर में प्रत्यावर्ती धारा होती है जिसकी वजह से फ्लक्स की दिशा भी बदलती रहती है जिसके कारण यह मैग्नेटिक फ्लक्स, करंट ट्रांसफॉर्मर के सेकेंडरी वाइंडिंग को कट करते हैं जिससे उसने प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है परंतु फेरों की संख्या अधिक होने के कारण इसमें वोल्टेज अधिक और करंट कम हो जाता है।

करंट कितना कम होगा उस CT के Ratio पर निर्भर करता है की कितने Ratio का CT प्रयोग में लाया गया है। अनुपात के आधार पर करंट ट्रांसफॉर्मर दो प्रकार के होते हैं।

  1. ..../1
  2. ..../5
इसमें ऊपर कोई भी एक निर्धारित मान हो सकता है जैसे 100/1 या 440/1 या 1000/1 या फिर 100/5 या 1000/5 या 11000/5  परंतु नीचे केवल 1 और 5 का ही अनुपात होता है।

CT का उपयोग। Use of current transformer.

CT का उपयोग किसी कंडक्टर या लाइन में बहुत अधिक मात्रा में प्रवाहित हो रहे हैं धारा को मापने के लिए प्रयोग किया जाता है। जैसे सब स्टेशन पर, इंडस्ट्री में।

PT क्या है। Potential transformer in hindi.

PT का फुल फॉर्म potential transformer होता है इसे voltage transformer भी कहते है यह एक स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर होता है क्योंकि यह हाई वोल्टेज को लो वोल्टेज में परिवर्तित करता है। इसके प्राइमरी वाइंडिंग में शेरों की संख्या अधिक और सेकेंडरी वाइंडिंग में फेरों की संख्या कम होती है इसकी सहायता से किसी कंडक्टर या लाइन के बहुत अधिक वोल्टेज को कम वोल्टेज में परिवर्तित करके मापा जाता है।

संरचना: इसमें भी दो वाइंडिंग होती हैं जिन्हें प्राइमरी और सेकेंडरी वाइंडिंग कहा जाता है PT एक स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर है इसलिए इसके प्राइमरी में फेरों की संख्या अधिक होती है और सेकेंडरी वाइंडिंग में फेरों की संख्या कम होती है।

PT Ratio: पोटेंशियल ट्रांसफॉर्मर केवल एक ही अनुपात में आते हैं .../110, इसमें ऊपर कोई भी अमाउंट हो सकता है।

जैसे यदि हम किसी 11000/110 अनुपात के पीटी की सहायता से लाइन की वोल्टता को मापेंगे तो वह 11 केवी को 110 वोल्ट में दिखाएगा।

PT कैसे काम करता है। How potential transformer work.

पोटेंशियल ट्रांसफॉर्मर की सहायता से जिस फेज का वोल्टेज मापना करना है उस फेस में प्राइमरी वाइंडिंग के पहले टर्मिनल को जोड़ देते हैं और दूसरे टर्मिनल को ग्राउंड कर देते हैं इसके बाद सेकेंडरी वाइंडिंग के दोनों टर्मिनलो के बीच में वोल्टमीटर को कनेक्ट कर दिया जाता है। यदि 2 फेजो के बीच में वोल्टेज को मेजर करना है तो पोटेंशियल ट्रांसफॉर्मर के प्राइमरी वाइंडिंग के दोनों टर्मिनल को दोनों फेस के साथ कनेक्ट किया जाता है।

प्राइमरी वाइंडिंग से निकलने वाले फ्लक्स अल्टरनेटिंग करंट के कारण सेकेंडरी वाइंडिंग को काटते हैं जिसकी वजह से उसमें विद्युत वाहक बल(EMF) उत्पन्न हो जाता हैं जिसे वोल्टमीटर की सहायता से माप लिया जाता है।

PT का उपयोग। Use of Potential transformer.

पोटेंशियल ट्रांसफॉर्मर का उपयोग उन स्थानों को किया जाता है जहां छोटे उपयंत्र मल्टी मीटर की सहायता से वोल्टेज को मापना संभव नहीं होता है, क्योंकि वोल्टेज बहुत अधिक होता है।

विद्युत सबस्टेशन, पावर ग्रिड, इंडस्ट्री आदि में पोटेंशियल ट्रांसफॉरर की सहायता से बहुत अधिक वोल्टेज को मापा जाता है।

CT और PT में क्या अंतर है। Difference between CT and PT.

सामान्यतः करंट ट्रांसफॉर्मर और पोटेंशियल ट्रांसफॉर्मर दिखने में लगभग समान होते हैं परंतु इनमें कई अंतर होते हैं आइए जानते हैं उनके बारे में।

1.CT का फुल फॉर्म current transformer होता है जबकि PT का फुल फॉर्म potential transformer होता है।

2.T सिटी करंट को मापने का कार्य करता है जबकि PT वोल्टेज को मापने का कार्य करता है।

3. करंट ट्रांसफॉर्मर 1 स्टेप अप ट्रांसफॉर्मर होता है जबकि पोटेंशियल ट्रांसफॉर्मर एक स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर होता है।

4. करंट ट्रांसफॉर्मर वोल्टेज को बढ़ाता है जबकि पोटेंशियल ट्रांसफॉर्मर वोल्टेज को कम करता है।

5. CT दो प्रकार (.../1, .../5) के Ratio में आते हैं जबकि PT केवल एक (.../110) ही Ratio में आता है।

CT और PT का उपयोग क्यों किया जाता है। Why we use CT and PT.

सामान्य तौर पर जो मल्टीमीटर हमारे बाजार में मौजूद है वह अधिकतम ₹1000 तक माफ सकते हैं जोकि बहुत महंगे होते हैं यदि इससे अधिक वोल्ट की लाइन को मेजर करना है तो हमें अधिक क्षमता वाले वोल्टमीटर या और मीटर की आवश्यकता होगी जिन्हें बनाने में अधिक लागत आएगी और वह साइज में बड़े हो जाएंगे जिससे असुविधा उत्पन्न होगी इन्हें परेशानियों को दूर करने के लिए करंट ट्रांसफॉर्मर और पोटेंशियल ट्रांसफॉर्मर का उपयोग किया जाता है।

Circuit breaker क्या है। कार्यविधि। प्रकार। उपयोग।

निष्कर्ष।

हम उम्मीद करते हैं कि आपको समझ में आ गया होगा कि करंट ट्रांसफॉर्मर और पोटेंशियल ट्रांसफॉर्मर क्या होते हैं बताइए कैसे काम करते हैं और इनका उपयोग क्यों किया जाता है।

यदि इससे जुड़ा आपके पास कोई प्रश्न है तो कमेंट करके हमसे अवश्य पूछे। हम आपके सभी प्रश्नों का जवाब देने का का प्रयास करेंगे। 

अंत में आपसे निवेदन है कि आप हमारे इस लेख को अपने किसी मित्र के साथ जरूर साझा करें जो इलेक्ट्रिकल यह इलेक्ट्रॉनिक्स की पढ़ाई कर रहा है या फिर इस क्षेत्र में कोई काम कर रहा है। हमारे इस लेख को पूरा पढ़ने के लिए और साझा करने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद।

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