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LDR क्या है। Full form। कैसे काम करता है। उपयोग।

जय हिंद दोस्तों कैसे हैं आप लोग hindimetalk.com पर आपका स्वागत है आज के इस लेख में हम लोग जानेंगे कि LDR क्या होता है और यह कैसे काम करता है तथा इसका उपयोग कहां किया जाता है। 

यदि आप इलेक्ट्रिकल या इलेक्ट्रॉनिक्स की पढ़ाई कर रहे हैं या फिर इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं तो आपने LDR sensor के बारे में जरूर सुना होगा। आइए आज इसे अच्छे से जान लेते हैं।

LDR क्या है? LDR in hindi.

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LDR का फुल फॉर्म Light depended resistor या light dependent resistor होता है हिंदी में इसे "प्रकाश आधारित प्रतिरोध या डार्क रजिस्टर" भी कहते है।

LDR एक विशेष प्रकार का प्रतिरोधक डिवाइस है जो प्रकाश के प्रति संवेदनशील होता है अर्थात ldr प्रकाश की उपस्थिति व अनुपस्थिति के साथ अपने प्रतिरोध में बदलाव करता है। एलडीआर सेंसर की श्रेणी में आता है इसलिए LDR को सेंसर की तरह भी उपयोग किया जाता है।

जब LDR पर प्रकाश पड़ता है तो इसका प्रतिरोध बहुत कम हो जाता है और चालकता बढ़ जाती है तथा जब ldr को अंधेरे में ले जाया जाता तो इसकी प्रतिरोधकता बढ़ जाती है जिससे चालकता कम हो जाती है।

Note: आपको लग रहा होगा कि जब प्रकाश की उपस्थिति में एलडीआर की प्रतिरोधकता कम हो जाती है तो सड़कों पर लगे स्ट्रीट लाइट दिन में क्यों नहीं जलते हैं। तो आपको बता दें कि कहीं भी एलडीआर सेंसर का उपयोग डायरेक्ट नहीं किया जाता है हमेशा एलडीआर को ट्रांजिस्टर, रिले आदि के साथ प्रयोग किया जाता है। स्ट्रीट लाइट में इंडिया का उपयोग कैसे किया जाता है इसके बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है।

LDR कैसे काम करता है। LDR working.

LDR फोटोकंडक्टविटी के सिद्धांत पर कार्य करता है ldr ऐसे अर्धचालक पदार्थों से बनाया जाता है जिनमें बहुत अधिक प्रतिरोधकता का गुण होता है जैसे कैडमियम, इस तरह के तत्वों में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या बहुत कम होती है इनमे विद्युत का प्रवाह आसानी से नहीं हो पाता है। यही कारण है कि ldr या फोटो रजिस्टर में सामान्य स्थिति(अंधेरे में) में बहुत अधिक विद्युत रोधी गुण होता है जिसका मतलब है कि इनकी प्रतिरोधकता बहुत अधिक लगभग 10 लाख ओह्म हो जाता है।

परंतु जब ldr यानी सेमीकंडक्टर पदार्थ पर प्रकाश पड़ता है तब प्रकाश में उपस्थित फोटान की ऊर्जा को सेमीकंडक्टर पदार्थ अवशोषित करके इलेक्ट्रॉन को दे देता है। जिससे उसकी चालकता बढ़ जाती है और प्रतिरोधकता कम लगभग 10 ओह्म हो जाती है।

LDR कैसे बनता है।

LDR में प्रकाश के प्रति संवेदनशील अर्धचालक पदार्थ जैसे कैडमियम सल्फाइड, लेड सल्फाइड, लेड सेलेनाइड, इंडियम एंटीमोनाइड या कैडमियम सेलिनाइड का प्रयोग किया जाता है।
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इनमें से सबसे अधिक कैडमियम सल्फाइड का उपयोग ldr बनाने के लिए किया जाता है, कैडमियम सल्फाइड को चालक धातु के दो टर्मिनल के बीच में जिग जैग मोशन में स्थापित किया जाता है। जिससे दोनों टर्मिनल आपस में कनेक्ट हो जाते हैं।

इसके बाद पारदर्शी पदार्थ की मदद से की कोटिंग कर दी जाती है ताकि प्रकाश की किरण आसानी से अर्धचालक पदार्थ कैडमियम सल्फाइड पर जाकर पड़े और सभी आपस में मजबूती के साथ जुड़े रहे।

LDR का उपयोग कहा किया जाता है?

एलडीआर सेंसर की तरह काम करता है इसलिए इसका उपयोग प्रकाश को सेंस करने वाले सेंसर के रूप में किया जाता है।

ldr का उपयोग प्रकाश की तीव्रता मापने वाले मीटर, स्ट्रीट लाइट, अलार्म क्लॉक आदि प्रकाश आधारित उपकरणों में किया जाता है। 

LDR के उपयोग से उपकरणों को स्वचालित ऑटोमेटिक बना दिया जाता है जिससे विद्युत ऊर्जा की बचत होती है और इन्हें मैनुअली नहीं ऑपरेट करना पड़ता है जिससे लेबर खर्च भी बच जाता है।

स्ट्रीट लाइट में LDR का उपयोग कैसे किया जाता है?

सामान्यतः हमे लगता है की स्ट्रीट लाइट में केवल LDR का उपयोग किया जाता है जबकि ऐसा नहीं है ldr के साथ ट्रांजिस्टर, रिले, प्रतिरोध, बैटरी से एक परिपथ बनाकर स्ट्रीट लाइट से कनेक्ट किया जाता है। इन सभी घटकों को कैसे कनेक्ट किया जाता है इसको चित्र में दिखाया गया है।
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इस परिपथ में दिन की स्थिति को दिखाया गया है दिन के समय में ldr पर प्रकाश पड़ता है तो उसका प्रतिरोध बहुत कम हो जाता है जबकि ट्रांजिस्टर के बेस टर्मिनल में लगे प्रतिरोध का अधिक होता है जिससे सप्लाई ट्रांजिस्टर के बेस में न जाकर एलडीआर से पास हो जाता है और हम जानते हैं कि जब तक ट्रांजिस्टर के बेस में सप्लाई नहीं मिलेगी तब तक कलेक्टर से सप्लाई पास नही होगी जिसके कारण रिले एक्टिव नही हो पाता है और लाइट दिन में नहीं जलती है।

अब आइए जानते हैं कि रात के समय अंधेरे की स्थिति में क्या होता है।
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रात के अंधेरे में ldr का प्रतिरोध बहुत बढ़ जाता हैं जिससे बैटरी की सप्लाई ldr में न जाकर प्रतिरोध से होते हुए ट्रांजिस्टर के बेस में चली जाती है क्योंकि अंधेरे में ट्रांजिस्टर के बेस में लगे प्रतिरोध की प्रतिरोधकता ldr से कम हो जाता है। जिसके कारण बैटरी की सप्लाई रिले से होकर ट्रांजिस्टर से होते हुए पास हो जाती है। इसकी वजह से रिले एक्टिव हो जाता है और लाइट के कांटेक्ट को जोड़ देता है जिससे रात के अंधेरे में लाइट जल जाती हैं।

👇अक्क्सर पूछे जाने वाले प्रश्न?👇

प्रश्न. एलडीआर का कार्य सिद्धांत क्या है?
उत्तर -LDR फोटोकंडक्टविटी के सिद्धांत पर कार्य करता है

प्रश्न. ldr कितने में मिलता है?
उत्तर - 5₹ प्रति piece ldr price है।

प्रश्न. LDR का प्रतिरोध बढ़ कैसे जाता है?
उत्तर - अंधेरा होने पर अर्धचालक पदार्थ के इलेक्ट्रॉन को प्रकाश किरण से मिलने वाली फोटोन की ऊर्जा नही मिल पाती है जिससे ldr का प्रतिरोध बढ़ जाता है।

प्रश्न. LDR का प्रतिरोध घट कैसे जाता है?
उत्तर - प्रकाश की किरण पड़ने पर अर्धचलक पदार्थ के इलेक्ट्रॉन प्रकाश किरण से फोटोन की ऊर्जा ग्रहण कर लेते हैं जिससे ldr का प्रतिरोध घट जाता है।

प्रश्न. एलडीआर किसका बनता है?
उत्तर - ldr अर्धचालक पदार्थ जैसे कैडमियम सल्फाइड, लेड सल्फाइड, लेड सेलेनाइड, इंडियम एंटीमोनाइड या कैडमियम सेलिनाइड आदि का प्रयोग करके बनता है।

प्रश्न. क्या ldr एक सेंसर है?
उत्तर - हा ldr sensor की श्रेणी में आता है।

निष्कर्ष!

उम्मीद है कि आपको LDR से जुड़े सभी सवालों के जवाब मिल गए होंगे यदि अभी भी आपके मन में ldr से जुड़ा कोई सवाल है तो आप कमेंट हमसे जरूर पूछे। 

अब अंत में आपसे से निवेदन है कि आप इस लेख को अपने किसी मित्र के साथ या किसी व्हाट्सएप ग्रुप में जरूर शेयर करें। धन्यवाद!

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