जय हिंद दोस्तों कैसे हैं आप लोग hindimetalk.com पर आपका स्वागत है आज की इस लेख में हम लोग जानेंगे कि बिजली कैसे बनती है तथा बिजली बनाने की प्रक्रिया किस सिद्धांत पर कार्य करता है और बिजली कितने प्रकार से बनाई जाती है।
इसके पहले वाले लेख में हम लोगों ने जाना था कि बिजली कितने प्रकार की होती है तथा AC और DC में क्या अंतर होता है और उनमें क्या गुण होता है यदि अभी तक आपने उसे लेख को नहीं पढ़ा है तो इसे पढ़ने के बाद उसे जरूर पढ़ें क्योंकि इससे आपको बिजली यानी कि इलेक्ट्रिसिटी को अच्छे से समझने में मदद मिलेगा।
बिजली कैसे बनती है? Electricity kaise banti hai?
हम सब जानते हैं कि बिजली जनरेटर से बनती हैं जैसे मोटर विद्युत ऊर्जा लेकर यांत्रिक ऊर्जा देता है ठीक इसी प्रकार एक जनरेटर यांत्रिक ऊर्जा लेकर विद्युत ऊर्जा देता है। कहने का अर्थ है कि यदि हमें बिजली चाहिए तो हमें जनरेटर के रोटर को घूमाना होगा यानी कि उसे यांत्रिक ऊर्जा देना ही होगा उसे यांत्रिक ऊर्जा हम पानी की मदद से दे सकते हैं हवा की मदद से दे सकते हैं भाप की मदद से दे सकते हैं या फिर अन्य इंजन से दे सकते हैं।
फैराडे का विद्युत चुंबकीय प्रेरण सिद्धांत: फैराडे के इस नियम के अनुसार "जब किसी चालक तार को बदलते हुए चुंबकीय क्षेत्र में ले जाया जाता है या फिर चुंबकीय क्षेत्र में चालक को इस प्रकार से घुमाया जाता है कि वह चुंबकीय फ्लक्स को बार-बार काटे तो उसके द्वारा चुंबकीय फ्लक्स को काटने के कारण उसमें एक विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है।" विद्युत वाहक बल को EMF भी कहा जाता है।
अब यदि चालक के दोनों सिरों के बीच किसी विद्युत उपकरण जैसे बल्ब को कनेक्ट कर दिया जाए तो वह बल्ब जलने लगेगी लेकिन यह तब तक ही जलेगा जब तक कंडक्टर उस चुंबकीय क्षेत्र में मौजूद चुंबकीय फ्लक्स को कटता रहेगा अर्थात जैसे ही वह कंडक्टर घूमना बंद कर देगा बल्ब बंद हो जाएगी क्योंकि विद्युत धारा का प्रवाह रुक जाएगा।
इसमें कंडक्टर के दोनों सिरों को एक-एक रिंग से जोड़ा गया है एक सिरे को पिंक कलर के रिंग से और दूसरे सिरे को नीले कलर के रिंग से जोड़ा गया है। दोनों रिंग पर बल्ब से जुड़े दो टर्मिनल कार्बन ब्रश के सहारे रिंग से लगे हुए हैं जब कंडक्टर रिंग के साथ घूमता है तो उसमें बिजली उत्पन्न होती है और वह बिजली कार्बन ब्रश के माध्यम से बल्ब से होकर आती और जाती है जिससे बल्ब जलने लगता है और कंडक्टर यानी कि चालक तार आपस में उलझते भी नहीं है।
उदाहरण: लोगों ने छोटे डीसी मोटर तो जरूर ही देखे होंगे जिनका उपयोग छोटे खिलौने वाली कार में होता है यह उन मोटर के अंदर दो चुंबक होते हैं जो एक दूसरे के विपरीत में स्थापित होते हैं उनके बीच में कॉपर की तार की कुंडली होती है जिसे रोटर कहते हैं जब आप इसके रोटर को हाथ से घुमाएंगे तो रोटर चुंबकीय फ्लक्स को काटता है जिससे उसमें करंट उत्पन्न हो जाता है अब यदि मोटर के बाहर जो दो टर्मिनल होते जिनसे सप्लाई दी जाती है वहां पर कोई छोटी एलइडी लगा दे तो आपको वह जलती हुई दिखाई देगा ठीक इसी सिद्धांत पर जनरेटर भी कार्य करते हैं।
पानी से बिजली कैसे बनती है? Hydro power plant in hindi.
पानी से बिजली बनाने के लिए सबसे पहले नदियों के पानी को रोकने के लिए नदियों पर बड़े-बड़े बांध बनाए जाते हैं। इस बांध की मदद से एक तरफ बहुत अधिक पानी जमा कर लिया जाता है और दूसरी तरफ बहुत कम पानी हो जाता है।
चूंकि डायनेमो टरबाइन से जुड़ा होता है इसलिए डायनेमो बिजली बनाना शुरू कर देता है बांध पर इसी प्रकार के कई गेट बनाए जाते हैं और प्रत्येक गेट पर एक टरबाइन और उससे जुड़ा डायनेमो होता है जिससे बहुत अधिक मात्रा में बिजली बनाई जाती है। फिर इस बिजली को ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन के माध्यम से हमारे घरों तक पहुंचाया जाता है।
हाइड्रो पावर प्लांट यानी कि बांध की मदद से बिजली बनाने में कुछ दिक्कतें आती है जैसे किसी नदी पर बांध बनाने में बहुत अधिक खर्चा आता है और नदी में साल के 365 दिन पानी नहीं होता है जिस जिसका उपयोग हर समय बिजली बनाने के लिए नहीं हो पाता है।
कोयले से बिजली कैसे बनती है? Tharmal power plant in hindi.
वर्तमान में दुनिया में सबसे ज्यादा बिजली थर्मल पावर प्लांट की मदद से ही पैदा की जाती है भारत में भी सबसे अधिक थर्मल पावर प्लांट का ही इस्तेमाल किया जाता है बिजली के उत्पादन में।
वास्तव में कोयले से बिजली नहीं बनती है कोयल का इस्तेमाल पानी को गर्म करने के लिए किया जाता है कोयले को जलाकर बॉयलर में पानी को बहुत अधिक लगभग 550 डिग्री सेल्सियस तक गर्म किया जाता है जिससे यह पानी बाप के रूप में बदल जाता है इसे प्लाज्मा कहते हैं इसमें बहुत अधिक ऊर्जा होती है इसे एक पाइप के माध्यम से डायनेमो से जुड़े टरबाइन पर डाला जाता है यह टरबाइन को बहुत तेजी से घूमता है जिससे डायनेमो बिजली बनाना शुरू कर देता है।
थर्मल पावर प्लांट का उपयोग इतना ज्यादा इसलिए किया जाता है क्योंकि इस कहीं भी स्थापित किया जा सकता है और साल के 365 दिन इससे बिजली बनाई जा सकती है।
भू- तापीय ऊर्जा संयंत्र। Geothermal power plant.
इस प्रकार के पावर प्लांट अक्सर ज्वालामुखी के आसपास के इलाकों में बनाया जाता है लेकिन या जरूरी नहीं है इसमें पृथ्वी के अंदर के ताप का इस्तेमाल करके बिजली बनाई जाती है।
हम सब जानते हैं कि पृथ्वी अंदर से बहुत गर्म है लेकिन वह गर्म हिस्सा पृथ्वी के तल से बहुत नीचे है लेकिन कुछ जगहों पर यह पृथ्वी के ताल के सम ऐप होता है जिसकी वजह से वहां की पानी का तापमान बहुत अधिक हो जाता है और जैसा कि हम लोग थर्मल पावर प्लांट में जान चुके हैं कि पानी को गर्म करने पर वह भारत के रूप में बदल जाता है और उसमें बहुत अधिक ऊर्जा आ जाती है और उसे डायरेक्ट टरबाइन पर डालकर बिजली बनाया जा सकता है।
इसलिए ऐसे स्थान पर छेद करके पाइप के माध्यम से भूतापीय ऊर्जा को निकाल कर सीधा टरबाइन पर डाला जाता है जिससे टरबाइन तेजी से घूमने लगता है और टरबाइन के घूमने के कारण डायनेमो जिसे आप जनरेटर भी कर सकते हैं वह बिजली बनाने लगता है।
बिजली बनाने के और कौन कौन से तरीके हैं आइए इनके बारे में जानते हैं।
- सूर्य की किरण से बिजली बनाई जाता है।
- समुद्र की लहरों से बिजली बनाया जाता है।
- हवा से बिजली बनाया जाता है।
- परमाणु से बिजली बनाया जाता है।
तो यदि आपको कोई तरीका अच्छे से नहीं समझ में आ रहा है या फिर इसके बारे में हमने यहां नहीं बताया है उसे आप यूट्यूब पर जाकर देख सकते हैं क्योंकि वहां पर आपको हर एक मशीन कल पुर्जे के बारे में विस्तार से दिखाकर बताया जाता है जिसे भूलना आपके लिए लगभग नामुमकिन हो जाता है।
निष्कर्ष।
आज के हमारे इस लेख का उद्देश्य आपको यह बताना था कि बिजली बनती कैसे हैं अर्थात बिजली उत्पन्न कैसे होती है और वह कौन-कौन से तरीके हैं जिनके मदद से बिजली बनाई जाती है तथा पानी और कोयले से बिजली कैसे बनाई जाती है जिसके बारे में हमने आपको बता दिया है।
यदि इससे अधिक आपको जानकारी चाहिए तो आप यूट्यूब पर जाकर वीडियो देख सकते हैं क्योंकि इन चीजों को पढ़कर अच्छे से नहीं समझा जा सकता है। जिन चीजों को पढ़कर समझ जा सकता था हमने उनके बारे में आपको बता दिया है।
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