जय हिंद दोस्तों कैसे हैं आप लोग Hindimetalk.com पर आपका स्वागत है आज के इस लेख में हम जानेंगे कि गर्मी में मटके या मिट्टी के घड़े का पानी ठंडा कैसे हो जाता है और क्यों होता है इसका क्या कारण हैं।
इसके पहले वाले लेख में हमने जाना था कि गर्मी में कुएं का पानी ठंडा और ठंडी में गर्म क्यों होता है। यदि अभी तक आपने हमारे इस लेख नही पढ़ा है तो अभी जाकर पढ़ें।
गर्मियों का समय आते ही हमारी पानी पीने की झमता बढ़ जाती है जिनके पास फ्रिज होता है वो फ्रिज से पानी को ठंडा करके पीते है परंतु जिनके पास फ्रिज नही होता है वो मटके का उपयोग करके पानी को ठंडा करके पीते हैं, वास्तव मे मटके का पानी फ्रिज के पानी से बेहतर होता है।
हम सब ने घड़े का ठंडा पानी पिया लेकिन क्या आप जानते हैं कि इतनी गर्मी में भी मटके या घड़े का पानी ठंडा क्यों होता है और कैसे होता है, यदि नहीं तो कोई बात नहीं आइए अब जान लेते है।
मटके या घड़े का पानी ठंडा क्यों होता है, और कैसे होता है।
मटके का पानी वाष्पीकरण के कारण ठंडा होता है गर्मियों के दिनों में जब हम मटके में पानी भरकर रख देते हैं तो आप देखते होंगे कि कुछ देर बाद पूरा मटका भीग जाता है ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मटके में बहुत छोटे-छोटे छेद होते हैं जिसकी सहायता से मटके का पानी उन छिद्र से होकर मटके के बाहरी सतह पर आ जाता है।
अब यहां पर पानी का वाष्पीकरण होता है जैसा कि हम सब जानते हैं जल को वाष्प में बदलने के लिए गर्मी की आवश्यकता होती है यानी कि उष्मीय ऊर्जा की आवश्यकता होती है यह उष्मीय ऊर्जा जल मटके के अंदर भरे हुए पानी से अवशोषित करता है जिसकी वजह से मटके के पानी का ताप घट जाता है इसी कारण मटके का पानी ठंडा होता है।
किसी द्रव का गैस में परिवर्तित होने की प्रक्रिया को वाष्पीकरण कहा जाता है, वाष्पीकरण को ताप, हवा, वायु में नमी आदि प्रभावित करते हैं।
यदि मटके को गर्म हवा के बीच रखा जाए तो वाष्प उत्सर्जन की क्रिया तेजी से होगी जिससे पानी जल्दी ठंडा होगा और अधिक ठंडा होगा।
कुछ दिन बाद मटके में पानी ठंडा क्यों नहीं होता है।
आपने अक्सर देखा होगा कि जब शुरू में हम नए-नए मटके का उपयोग करते हैं तो पानी बहुत ही जल्दी और आसानी से ठंडा हो जाता है लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता है इसी के साथ पानी धीरे-धीरे ठंडा होता है और बहुत अधिक समय लगता है ठंडा होने में और फिर कुछ हफ्तों बाद ऐसा होता है कि पानी एकदम ठंडा नहीं होता है इसका मुख्य कारण यह है कि मटके मैं उपस्थित छोटे-छोटे चित्र धूल मिट्टी और बालू से भर जाते हैं जिससे वाष्प उत्सर्जन की क्रिया नहीं हो पाती है।
मटके में पानी नोट ना होने का एक मुख्य कारण यह है कि अक्सर लोग मटके को अंदर से भी रगड़ कर दो देते हैं मटके को अंदर से रगड़ कर धोने से मटके छिद्र बंद हो जाते है।
मटके का पानी अधिक ठंडा कैसे करें।
मटके का पानी अधिक से अधिक फ्री जैसा ठंडा करने के लिए आपको इन उपायों का उपयोग करना चाहिए।
- मटके को अंदर से रगड़ कर नहीं धोना चाहिए।
- मटके को खुले स्थान में रखें।
- मिट्टी के घड़े को गीले स्थान में ना रखें।
- मटके को बाहर से ना भिगोए।
- मटके में पानी भरने के 3 से 4 घंटे बाद मटके के पानी का उपयोग करें।
- ज्यादा दिन के मटके को बाहर से धो देना चाहिए।
- हफ्ते में एक बार मटके को अच्छी तरह से धूप में सुखा ले अथवा इसे अच्छे से गैस पर गर्म करने के बाद इसमें पानी भरें।
मटके का पानी पीने के फायदे।
मटके का पानी पीने के कई फायदे होते हैं जिनका उल्लेख यहां पर किया गया है।
- मटके का पानी पीने से गले में खराश समस्या दूर होती हैं।
- मटके का पानी पीने से दस्त की समस्या नहीं होती हैं।
- मटके का पानी पीने से शरीर हमेशा हाइड्रेटेड रहता है।
- मटके का पानी पीने से पेट में गैस की समस्या से छुटकारा मिलता है।
- गर्मी में मटके का पानी पीने से ताजगी महसूस होती है।
- मटके का पानी पीने से कैंसर का खतरा कम होता है।
- मटके का पानी पीएच मान को संतुलित रखता है।
- मटके के पानी में भरपूर मात्रा में मिनिरल्स होते हैं।
इस लेख में हमने जाना कि गर्मियों में मटके का पानी ठंडा क्यों होता है और मटके का पानी पीने के क्या-क्या फायदे होते हैं साथ में हमने अभी जाना की किस तरह हम मटके यानी की मिट्टी के घड़े के पानी को जल्दी से जल्दी और अधिक से अधिक ठंडा कर सकते हैं। और कुछ दिन बाद मटके का पानी ठंडा क्यों नहीं होता है।
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