Insulator क्या है? परिभाषा। प्रकार। उपयोग। Insulator in hindi.

जय हिंद दोस्तों कैसे हैं आप लोग hindimetalk.com पर आपका स्वागत है आज के इस लेख में हम लोग जानेंगे इंसुलेटर क्या होता है। इंसुलेटर कितने प्रकार के होते हैं। इनका उपयोग कहां और क्यों किया जाता है। तो अंत तक बने रहिए हमारे साथ आज आप इंसुलेटर के एक्सपर्ट बन जाएंगे। इसके पहले हम लोगो ने जाना था कि कैपेसिटर क्या होता है और यह कैसे काम करता है।

अगर आप इलेक्ट्रिकल ही पढ़ाई कर रहे हैं जैसे आईटीआई, डिप्लोमा या इंजीनियरिंग तो यह आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक है इसके बिना आप विद्युत से जुड़ा कोई भी कार्य सुरक्षित रूप से नहीं किया जा सकता है। अक्सर परीक्षा और इंटरव्यू में भी इस पर एक प्रश्न पूछा जाता है तो आप से निवेदन है कि इस लेख को पूरा पढ़ें! और आने वाले एग्जाम के लिए चार से पांच नंबर फिक्स कर ले।

Insulator क्या है? Insulator in hindi.

Insulator-in-hindi.
insulator in hindi 

What is insulator in hindi: insulator को हिंदी में विद्युतरोधी या कुचालक भी कहते हैं। इंसुलेटर एक ऐसा पदार्थ होता है जो अपने अंदर से करंट को बहने नहीं देता है। या इंसुलेटर ऐसे पदार्थ होते हैं जो विद्युत धारा के प्रवाह का पूर्ण रूप से विरोध करते हैं। इन पदार्थ में मुक्त इलेक्ट्रॉन नही होते हैं या ना के बराबर होते हैं। जैसे- कागज, प्लास्टिक, रबर, पोर्सलेन, सुखा कपड़ा, सुखी लकड़ी, बेकेलाइट, सिरेमिक, शीशा आदि।

इंसुलेटर की परिभाषा। Defination of insulator.

वे पदार्थ जो अपने में से विद्युत धारा को प्रवाहित नहीं होने देते हैं व जिनमे मुक्त इलेक्ट्रॉन नही होते हैं ऐसे पदार्थों को इंसुलेटर कहते हैं। या वो पदार्थ इंसुलेटर कहलाते है।

इंसुलेटर के प्रकार। Types of insulator in hindi.

वैसे तो इंसुलेटर उनके प्रयोग व गुण के आधार पर बहुत से प्रकार के होते हैं लेकिन हम यहां पर केवल ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम में प्रयोग किए जाने वाले इंसुलेटर के बारे में जानेंगे क्योंकि सभी इंसुलेटर की चर्चा करने पर यह लेख बहुत लंबा हो जाएगा। यहां पर 7 प्रकार के इंसुलेटर के बारे में बताया गया है।

1.Pin insulator.

पिन इंसुलेटर का उपयोग डिस्ट्रीब्यूशन लाइन में किया जाता है पिन इंसुलेटर खम्बो में सबसे ऊपर किया जाता है यह 11 KV से 66 KV तक की क्षमता के लाइन के लिए उपयोग किए जा सकते हैं। 11 kV के लिए पिन इंसुलेटर का डिज़ाइन अलग होती है और 33 केवी के लिए पिन इंसुलेटर का डिज़ाइन अलग होता है और 66 केवी के लाइन में प्रयोग किए जाने वाले पिन इंसुलेटर का डिज़ाइन अलग होता है। यहां पर 11 KV के pin insulator को दिखाया गया है।

लेकिन पिन टाइप इंसुलेटर का प्रयोग 11 से 33 केवी तक की लाइन में किया जाता है क्योंकि इससे अधिक वोल्टेज की लाइन में पिन इंसुलेटर का प्रयोग करने से तंत्र की सुरक्षा कम हो जाती है और pin insulator की क्षमता भी कम हो जाती है। इसे आप अपने घर के ऐसा पास लगे किसी खंबे के ऊपर देख सकते हैं।

2.Shackle insulator.

शैकल इंसुलेटर का प्रयोग ट्रिब्यूट सिस्टम में ऐसे स्थान पर किया जाता है जहां पर लाइन में मोड़ आ जाते हैं या लाइन को मोड़ने की आवश्यकता होती है। इनका उपयोग अक्सर लाइन टर्मिनल पर भी किया जाता है।

3.Disc insulator.

डिस्क इंसुलेटर का चित्र ऊपर दिया गया है एक डिस्क इंसुलेटर की क्षमता 11 केवी तक होती है इनका उपयोग अक्सर 11 केवी की लाइन में टर्मिनल पर किया जाता है।  डिस्क इंसुलेटर की क्षमता के मटेरियल पर भी निर्भर करती है।

कई डिस्क इंसुलेटर को जोड़कर इससे सस्पेंशन और स्ट्रेन इंसुलेटर भी बनाया जाता है जिनका उपयोग ट्रांसमिशन लाइन में हाई वोल्टेज को ट्रांसमिट करने के लिए किया जाता है।

4.Suspension insulator.

सस्पेंशन इंसुलेटर कई disc insulator को आपस में कनेक्ट करके बनाया जाता है इनको हाई वोल्टेज के ट्रांसमिशन लाइन मे प्रयोग किया जाता है। इन्हें ट्रांसमिशन लाइन के स्तंभों में ऊर्ध्वाधर लटका कर इसमें चालक तार को बांधा जाता है।

चूंकि एक डिस्क 11 केवी का होता है इसलिए ट्रांसमिशन लाइन में लगे सस्पेंशन इंसुलेटर में डिस्क की संख्या को जिन कर हमें पता लगा सकते हैं की कितने वोल्टेज की ट्रांसमिशन लाइन है। जैसे यदि एक सस्पेंशन इंसुलेटर में 6 डिस्क इंसुलेटर लगे हैं तब उस लाइन की वोल्टता 66 केवी होगी।

5.Strain insulator.

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स्ट्रेन इंसुलेटर को भी डिस्क इंसुलेटर की सहायता से बनाया जाता है इसमें भी कई disc insulator को आपस में जोड़ा जाता है। स्ट्रेन इंसुलेटर का प्रयोग ट्रांसमिशन लाइन में मोड पर या नदी आदि को पार करते समय किया जाता है इन्हें ट्रांसमिशन लाइन के स्तंभों पर क्षैतिज स्थिति में लगाया जाता है।

इसमें भी हम डिस्क की संख्या को गिन कर यह पता लगा सकते हैं की उस लाइन की वोल्टता कितनी है।

6.Post insulator.

पोस्ट इंसुलेटर का प्रयोग सब स्टेशन में किया जाता है यह काफी मजबूत होते हैं इनका डिज़ाइन पिन इंसुलेटर की तरह होता है लेकिन ये पिन इंसुलेटर की अपेक्षा कई गुना लंबे और मजबूत होते हैं। 

पोस्ट इंसुलेटर का प्रयोग सब स्टेशन लगे बस बार, सर्किट ब्रेकर, आइसोलेटर, करंट ट्रांसफार्मर, पोटेंशियल ट्रांसफार्मर जैसे विभिन्न उपकरणों व उपयंत्रों को लौह आधार से पृथक करने के लिए किया जाता है।

7.Stay insulator.

स्टे इंसुलेटर स्टे वायर में प्रयोग किया जाता है स्टे वायर आप सब ने देखा होगा जब डिस्ट्रीब्यूशन लाइन में कहीं मोड़ आ जाता है तो उस मोड़ पर लगे खंभे को एक तार से साइड में खींचकर बंद दिया जाता है इसे ही स्टे वायर कहते हैं।

इसी तार के बीच में स्टैंसिल लगाया जाता है इसे लगाने का मुख्य उद्देश्य किसी भी प्रकार के दोष की स्थिति में करंट को इसके वायर में आने से रोकना है। क्योंकि इसके वायर जमीन से जुड़ा होता है और इसके संपर्क में मानव और जानवर दोनों आ जाते हैं यदि इसमें करंट आएगा तो जान माल की हानी हो सकती है।

अच्छे इंसुलेटर के गुण। Property of insulator.

एक अच्छे ठोस इंसुलेटर में निम्न गुणों का होना आवश्यक है।
  1. भीगना नही चाहिए।
  2. मजबूत होना चाहिए।
  3. फ्लेक्सिबल होना चाहिए।
  4. ऊपरी परत चिकना होना चाहिए।
  5. गलनांक बिंदु उच्च होना चाहिए।
  6. वातावरण के प्रभाव से मुक्त होना चाहिए।
  7. विद्युत धारा का पूरी तरह से विरोध करने का गुण होना चाहिए।
  8. मुक्त इलेक्ट्रॉन नही होना चाहिए।
  9. कम कीमत पर आसानी से उपलब्ध होना चाहिए।
  10. जीवन काल लंबा होना चाहिए।

इंसुलेटर के फायदे। Advantage of insulator.

  • विद्युत प्रणाली में दोष की स्थिति में आधार में करेंट नही आ पाता है जिससे मनुष्यो और जनवरी की सुरक्षा होती है।
  • ये बहुत मजबूत होते हैं जिसे छोटे मोटे आधार आसानी से सह लेते हैं।
  • Transmission & Distribution में प्रयोग किए जाने वाले इंसुलेटर चिकने होते हैं जिससे इनपर पानी और धूल मिट्टी जमा नहीं हो पाती है।
  • ये आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।

इंसुलेटर के नुकसान। Disadvantage of insulator.

  • अक्कसर ये इंसुलेटर टूट जाते हैं जिसकी वजह से केबल ढीले हो जाते हैं जिससे शार्ट सर्किट की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
  • इन्हे बदला थोड़ा मुस्किल होता है।
  • इंसुलेटर फेल हो जाने पर आधार(खंभों) में करेंट आने लगता है।
  • समय समय पर इनकी जांच करनी होती हैं।


FAQ: Related to insulator in hindi.

1. Insulator को हिंदी में क्या कहते हैं?
उत्तर- विद्युतरोधी या कुचालक।

2.इंसुलेटर को हिंदी में क्या कहते हैं?
उत्तर- विद्युतरोधी या कुचालक।

3.इंसुलेटर किसका बना होता है?
उत्तर- पोर्सेलिन, ग्लास, सिरेमिक, आदि।

4. इंसुलेटर क्या करता हैं?
उत्तर- इंसुलेटर अपने अंदर से करेंट नही जाने देता है।

5.सबसे बढ़िया इंसुलेटर कौन सा है?
उत्तर- प्लास्टिक, रबर, सिरेमिक, कांच।

6. इंसुलेटर लगाने का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर- लाइन आधार में करेंट को जाने से रोकने के लिए।

7.इंसुलेटर कैसे काम करता है?
उत्तर- इंसुलेटर में मुक्त इलेक्ट्रॉन नही होते हैं जिसकी वजह से उनमें विद्युत धारा का प्रवाह नही होता है।

निष्कर्ष।

तो आज के इस लेख में हम लोगों ने जाना कि insulator kya hota hai. इंसुलेटर कितने प्रकार का होता है insulator का प्रयोग क्यों किया जाता है तथा इनकी क्या विशेषता होती है।

उम्मीद है आपको आज के इस लेख से बहुत कुछ सीखने व जानने को मिला होगा और अब आपको पता चल गया होगा कि नहीं सो लेटर क्या है और इनका प्रयोग क्यों किया जाता है अगर आपको हमारा यह लेख अच्छा लगा तो इसे अपने मित्रों के साथ जरूर साझा करें धन्यवाद।

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