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Isolator क्या है। कैसे काम करता है। प्रकार। उपयोग।

जय हिंद दोस्तों कैसे हैं आप लोग hindimetalk.com पर आपका स्वागत है आज किसी एक में हम जानेंगे कि isolator kya hota hai. कैसे काम करता है तथा यह कितने प्रकार का होता है इनका उपयोग कहां और क्यों किया जाता है।

अगर आप इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्र हैं तो आपने आइसोलेटर के बारे में जरूर सुना होगा अगर नहीं सुना है तो आज जान लीजिए क्योंकि इसे जाने बिना इलेक्ट्रिकल इंजीनियर तो छोड़िए आप इलेक्ट्रीशियन भी बनने के लायक नहीं होंगे। तो यह जानते हैं कि आइसोलेटर क्या है।

आइसोलेटर क्या है। What is isolator. Isolator in hindi.

Isolator-in-hindi.

Isolator in electrical: Isolator को हिंदी में विलगकारी कहते हैं, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है अलग करना। यह एक हस्त चालित(यांत्रिक) स्विच है। ये no load स्विच होते हैं, कहने का अर्थ है कि इनका प्रचालन तब किया जाता है जब लाइन से सप्लाई को काट दिया जाता है। इसके दो मुख्य भाग होते है।

  1. Moving contact
  2. Fixed contact
ये दोनो पोस्ट इंसुलेटर के ऊपर स्थापित होते हैं और पोस्ट इंसुलेटर स्टील की आधार पर मजबूती से कसा होते हैं। आइसोलेटर के दोनों भाग मूव करते हैं। 

Isolator meaning in hindi:- पृथक्कारी, अलग करने वाला, विच्छेदक, अलगाने वाला, पृथक करने वाला, विगलक।

Isolator कैसे काम करता है। How isolator work.

Isolator का moving part गियर बॉक्स से जुड़ा होता है और यह गियर बॉक्स नीचे लगा होता है जिसमे एक हैंडल होता है जब हैंडल को घुमाया जाता है तो आइसोलेटर का मूविंग पार्ट फिक्स कांटेक्ट से दूर हो जाता है जिससे लाइन अलग हो जाती है। फिर इसी हैंडल को उलटी दिशा में घुमाने पर आइसोलेटर क्लोज हो जाते हैं जिससे लाइन जुड़ जाती है।

Isolator को open करने से पहले circuit breaker को open किया जाता है फिर isolator को open किया जाता है। इसीलिए इसे No Load switch कहते हैं। सर्किट ब्रेकर को ओपन करने के बाद भी हाई वोल्टेज और लाइन में लगे हुए CT, PT, ट्रांसफॉर्मर, आदि के कारण लाइन विद्युत ऊर्जा होती रह जाती है इसीलिए इसीलिए आप देखेंगे कि जब आइसोलेटर को ओपन किया जाता है तो वहां कुछ समय के लिए आर्क उत्पन्न होता है। इससे बचने के लिए आइसोलेटर अलग किए गए भाग को ग्राउंड से कनेक्ट कर देता है।

Isolator को ओपन करने से पहले सर्किट ब्रेकर को इसलिए ओपन किया जाता है क्योंकि ऑन लोड की स्थिति में isolator को खोलने पर आर्क उत्पन्न होता है और आइसोलेटर में आग बुझाने की कोई व्यवस्था नहीं होता है। यदि आइसोलेटर को On Load पर प्रचालित किया जाए तो उसमें लगे इंसुलेटर और अन्य उपयंत्र व उपकरण आग के कारण क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।

Isolator कितने प्रकार के होते हैं। Types of Isolator.

Electrical Isolator मुख्य रूप से पांच प्रकार के होते हैं जिनका उपयोग सबस्टेशन मे किया जाता है। अलग-अलग प्रकार के आइसोलेटर की क्षमता अलग-अलग होती है।

1.Single break isolator.

Single-break-isolator.

इसे सिंगल ब्रेक आइसोलेटर इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसके कांटेक्ट एक ही जगह से ओपन होता है और वही से क्लोज होते है इसे vertical isolator भी कहा जाता है। क्योंकि इसका मूविंग पार्ट ऊपर नीचे गति करता है। इसका प्रयोग 33kv और 66kv के वोल्टेज पर किया जाता है। जब हैंडल को घुमाया जाता है तो मूविंग पार्ट फिक्स पार्ट से अलग होकर ऊपर उठ जाता है जैसा की चित्र में दिखाया गया है। 

2.Double break isolator.

Double-break-isolator.

डबल ब्रेक आइसोलेटर का मूविंग आर्म दो जगह से ओपन होता है इसलिए इसे डबल ब्रेक आइसोलेटर कहते हैं। इसे Horizontal isolator भी कहा जाता है क्योंकि इसका मूविंग आर्म क्षैतिज में मूव करता है। इसे 66kv के वोल्ट पर विद्युत सबस्टेशन मे प्रयोग किया जाता है।

3.Pantograph isolator.

Pantograph-isolator.

Pantograph आइसोलेटर ट्रेन में लगी पैंटोग्राफ की तरह होता है या ऊपर और नीचे मूव करता है। जब हैंडल को घुमाया जाता है तो या लाइन से अलग होकर नीचे आ जाता है और उल्टी दिशा मंडल को घुमाने उठकर लाइन से जुड़ जाता है। इसका प्रयोग 400kv के वोल्ट पर विद्युत सबस्टेशन मे होता है।

4.Knee break isolator.

Knee-break-isolator.

इसके नाम से ही प्रतीत हो रहा है की यह घुटने जैसे आकार का होगा। यह ठीक हमारे घुटने के जैसे खुलती है और बंद हो होती हैं। इसका प्रयोग 800kv तक के वोल्ट पर विद्युत सबस्टेशन मे इसका प्रयोग किया जाता है। 

5.Center break isolator.

5.Center-break-isolator.

सेंटर ब्रेक आइसोलेटर नाम के अनुसार ही बीच से ओपन होते हैं और क्लोज होते हैं इसके दोनों भाग मूव करते हैं। इसका प्रयोग 132kv और 220kv के वोल्टेज पर इनका उपयोग विद्युत सबस्टेशन मे किया जाता है।

Isolator क्यों लगाया जाता है। उपयोग। Use of Isolator. 

Isolator in substation: आइसोलेटर को प्रत्येक विद्युत सबस्टेशन में सर्किट ब्रेकर के दोनो ओर लगाया जाता है। और एक सब स्टेशन में दो सर्किट ब्रेकर लगाए जाते हैं। पहला इनकमिंग लाइन पर तथा दूसरा आउटगोइंग लाइन पर और दोनो सर्किट ब्रेकर के दोनो तरफ isolator लगाया जाता है।

आइसोलेटर को लगाने का मुख्य कारण है सबस्टेशन मे लगाए गए सर्किट ब्रेकर, ट्रांसफॉर्मर, आदि की maintenance करना। जैसे मान लीजिए कि सर्किट ब्रेकर में कोई दिक्कत आ गई है तो हम उसके दोनो ओर के आइसोलेटर को ओपन करके आसानी से उसे ठीक कर सकते या बदल सकते है। इसी प्रकार ट्रांसफॉर्मर या लाइन में कोई दिक्कत आ जाने पर आइसोलेटर को ओपन करके आसानी से उसकी मरम्मत की जा सकती है। 

Isolator के गुण। Advantage of Isolator.

  • इसका प्रचालन आसान होता है।
  • कम स्थान लेता है।
  • आसानी से स्थापित किया जा सकता है।
  • इन्हे बदला आसान होता है।
  • आर्थिक दृष्टि में भी अच्छा है।
  • मेंटेनेंस बहुत कम होता है।

निष्कर्ष!
तो आज के इस आर्टिकल में हम लोगो ने जाना कि isolator kya hota hai. Isolator कितने प्रकार का होता है। आइसोलेटर कैसे काम है। Isolator का प्रयोग कहा और क्यों किया जाता है। उम्मीद आपको पढ़ कर अच्छा लगा होगा और बहुत जानने को मिला होगा। इसे अपने दोस्तो के साथ जरूर साझा करें। धन्यवाद!

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